किस तरह से करे नवरात्रि मे साधना I kis tarah se kare navratri me sadhana

किस तरह से करे नवरात्रि मे साधना I kis tarah se kare navratri me sadhana

किस तरह से करे नवरात्रि मे साधना-हिन्दुओं का महान पर्व महानवरात्री पर्व की चहल–पहल हरेक जगह देखा जा रहा है । वैसे तो साल मे चार बार नवरात्री पर्व आते है । दो गोप्य रुपमे माना जाता है तो दो सार्वजनिक रुपमे बडा ही धुमधाम एवं उत्साह पूर्वक मनाई जाती है ।

इस साल नेपाली तिथि विक्रम सम्वत २०७६ साल आश्विन १२ गते और भारतीय तिथि सन २०१९ सेप्टेम्बर २९ तारिख रविवार को घटस्थापना किया जाएगा । प्रथम दिन घटस्थापना से लेकर दशमी तक हरेक घर मे मां का निष्ठा एवं भक्तिपूर्वक विधिविधान से पुजा–पाठ किया जाता है ।

नवरात्रि मे अधिकांश भक्तजन उपवास और व्रत करते है । बहुत घरों मे विद्धान पंडीत द्धारा दुर्गा पाठ किया जाता है । जो जितना कर सकता है मनोमान और पवित्रता के साथ मां का पुजा–आराधना अवश्य करते है ।

नवरात्रि मे दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से माता की असीम अनुकम्पा प्राप्त होती है । बहुत लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ नियमित रुपमे भी करते है । प्राचीन मान्यता है कि नवरात्रि मे मां दुर्गा का पुजा–पाठ करने से मुनष्य के हरेक समस्या का निदान हो जाता है ।

किस तरह से करे नवरात्रि मे साधना-माता की विभिन्न रुप के अलग–अलग भी पुजा–आराधना करने की परम्परा भी रहा है । मां के किसी भी रुप की आराधना करता है तो मां अपने भक्त को शरण मे लेकर हरेक कष्ट से निवारण कर देती है ।

इस बार महानवरात्रि ९ दिन की है । नवरात्रि मे पुजा–पाठ एवं व्रत–उपवास मे रहे भक्तजन को दिनचर्या मे शुद्धता अनिवार्य होता है ।

सात्विक भोजन, बोली–व्यवहार मे सच्चाई और पवित्र चिन्तन करना व्रतालु के लिए उचित रहता है । इस मे विधि विधान से दुर्गा सप्तशती का सम्पुर्ण पाठ करना बहुत ही शक्तिशाली पाठ माना जाता है । लेकिन दुर्गा सप्तशती के पाठ मे समय बहुत लगता है लगभग ३–४ घंटा ।

आज–कल मनुष्य कामकाज मे इतना विजी वा काम का इतना दबाब रहता है कि उसे समय निकालने मे थोडा परेशानी हो सकता है ।

लेकिन इसका सब से सुलभ उपाय दुर्गा सप्तशती मे वताया गया है । देवो के देव महादेव भगवान ने पार्वती से कहा है कि दुर्गा सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ का फल सिर्फ कुञ्जिका स्तोत्र के पाठ से प्राप्त किया जा सकता है ।

किस तरह से करे नवरात्रि मे साधना-कवच, कीलक, अर्गला स्तोत्र वा न्यास करने का समय यदि न हो तो दुर्गा सप्तशती के भितर ही सिद्ध किया हुआ मंत्र कुञ्जिका स्तोत्र का पाठ सम्पूर्ण फल प्रदान करता है ।

मान्यता है कि संकल्प लेकर जो सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का पाठ करता है उनकी मनोकामना मां पुरा करती है ।

किस तरह से करे नवरात्रि मे साधना I kis tarah se kare navratri me sadhana


सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥1॥

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥2॥

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ 3॥

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥4॥

अथ मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

॥ इति मंत्रः॥

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषामर्दिन ॥1॥

नमस्ते शुंभहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन ॥2॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥3॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥ 4॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण ॥5॥

धां धीं धू धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु॥6॥

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥7॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥ 8॥

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे॥
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

। इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।


गृहस्थ को नवरात्रि मे साधारण किसिम से ही नवदुर्गा के पुजा करना चाहिए । अर्थात घटस्थापना, सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का पाठ चाहिए वा मां के नौ रुपों के मंत्र का जाप करना चाहिए । व्रत उपवास रहना, सात्विक भोजन और संयम पूर्वक रहना चाहिए । 

माता कै नौ रुप मध्ये प्रथम दिन माता शैलपुत्री के पुजा करना चाहिए ।

मंत्र :- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:। मन्त्र से पुजा करना चाहिए । इसी तरह दुसरे दिन – 

माता ब्रहमचारिणी –मंत्र :- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।   तीसरे दिन -

माता चन्द्रघंटा – मन्त्र :- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नमः । ’ चोथे दिन-
माता कुष्मांडा – मन्त्र ;-  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम : । ’ पाँचौ दिन -
माता स्कंदमाता –मन्त्र :-  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम : । ’ छठौ दिन -
माता कत्यायनी – मन्त्र :-  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम : । ’ सातौ दिन -
माता कालरात्रि – मन्त्र :-  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै  नम : । ’ आठौं दिन -
माता महागौरी – मन्त्र :- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम : । ’ नवौं दिन -
माता सिद्धिदात्री – मन्त्र :-  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम :। 

इस प्रकार नौ दिन माता के नौ रुप की पुजा करने से सर्व मनोकामना पूर्ण होते है ।  

Post a Comment

0 Comments