You will be shocked knowing the benefits of pineapple


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अनानास के फाइदा जानकर आप हो जाएगें हैरान


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अनानास जिसे पाइनापल, भुँइकटहर नामसे भी जाना जाता है । और ये विश्वका प्रमुख व्यापारिक एवं औधोगिक फल मध्ये एक है । दिखने मे ये फल सामान्य तौर पर हरे रंगका एक काटेदार फल होता है । 

इसे काटने पर इसके भितर पीले रंगके थोडा खटा–मीठा, कडवा और रसीला होता है । विश्वमे मुख्य रुपमे अनानास के खेती फिलिपिन्स, थाइलैन्ड, ब्राजिल, कोरिया, घाना, दक्षिण अफ्रिका, अष्ट्रेलिया, भारत, मेक्सिको, पोर्टारिका और नेपालके क्छ भु–भागमे किया जाता है ।

संसार भर मे अनानास का उत्पादन हरेक साल ९६ लाख मेट्रिक टन होता है । सिर्फ नेपाल के तराई–मधेश भु–भागमे सालाना लगभग १५ हजार मेट्रिक टन अनानास का उत्पादन होता है । अनानास बहुत ही उपयोगी फल है और खास करके गर्मी मौसम मे उत्पादन होने वाले अनानास अब बारहो महिना बजार मे उपलब्ध रहता है ।

अनानास कैसे उत्पादन करे 

जिस जगह पर अनानास लगाई जाती है उस जगहको अच्छे ढंगसे जोतकोर करना पड्ता है और अच्छी तरह से जमीन को लेवल किया जाता है ताकि पानी न जमे । इसे वर्षातके शुरुमे वा अन्तमे लगाना ठीक होता है । 

वैसे गर्मी होनेवाले जगह मे कभी भी लगाया ज सकता है । व्यस्थित तरीका से लगाया गया अनानास के रेखदेख मे सुविधा होता है साथही स्तरीय गुणयुक्त फल उत्पादन होता है ।

अनानास उन्नत प्रविधि अनुसार ही लगाना चाहिए, अनानास को कियारी बनाकर लगाया जाता है और हरेक कियारी के बीच के दुरी ६० सेन्टिमिटर रखी जाती है और अनानास रोपाईका दुरी ८०–९० सेन्टिमिटर रखा जाता है । इस तरह से लगाने से एक हेक्टर जमीनमे लगभग ४४ हजार वोट लगाया जा सकता है ।


हावापानी और मीटी

समुन्द्री सतह से १५०० मिटर के उचाई तक इसका खेती किया जा सकता है । वैसे तो २१०–२३० सेल्सियस तापक्रम इसके लिए अच्छा होता है । लेकिन १५ से ३२ सेल्सियस तक के तापक्रममे इसका खेती सफलता पूर्वक किया जा सकता है । 

अनानास धुप लगने वाले जमीन मे ही उत्पादन होता है । ५१ से लेके ५०० से.मि. तक सालाना पानी होनेवाले जगहमे भी इसका खेती कर सकते है । इसी तरह बलौटे दोमट और अधिक ऊर्वरशक्ति वाले जगह अनानास के खेती के लिए उपयोग माना जाता है । 

जहाँ अनानास लगाया जाता है उस जगह पानीका निकास होना चाहिए । इसके खेती के पि.एच.५.५ से लेकर ६.५ पि.एच. की मीटीको अच्छा माना जाता है ।

मलखाद और सिंचाई

मलखाद ः अनानास उत्पादन के लिए नाइट्रोजन और पोटास का अधिक जरुरी होता है । अनानास लगाने के लिए ६ सय किलो नाइट्रोजन, ४ सय किलो फास्फोरस और ६०० किलो पोटास साथही कुछ गोबर मल देना पड्ता है । नाइट्रोजन और एमोनियम सल्फेट इसके लिए अच्छा होता है ।

सिचाई – अनानास के लिए सिंचाई बहुत ही जरुरी नही होता है । इसका पता बहुत मोटा होता है जिससे पता मे प्रशस्त पानी जमा करके रखने की क्षमता होता है । यदि मीटीमे सिर्फ २५ प्रतिशत पानी पहुचने से भी अनानास खेती अच्छी तरह से किया जा सकता है ।

अधिक गर्म और सख्खा जगह मे १५–२० दिन बिताकर किया गाय सिंचाई अच्छा होता है ।

पौधा व्यवस्थापन और देखरेख

नियमित रुपसे झारपात का नियन्त्रण करना अनानास खेतीमे बहुत महत्वपूर्ण होता है । समय–समय पर झारपात नियन्त्रण नहि किया गया तो उत्पादनमृे ह्रास होता है । 

झारपात नियन्त्रण के लिए विभिन्न रसायनको प्रयोग किया जाता है । जैसे मोनोयुरन, सिमाजीन, डाइयुरन अथवा ब्रोमासिल ।

अनानास का जात

कुछ प्रसीद्ध अनानासका जात है जो विश्व भर मे प्रसीद्ध है । जैसे

जायन्ट क्यू ः– इस जातका अनानास के पता बडा और नरम होता है । फलका आकार बडा और गोलाई उपर पटी जैसा बना होता है । कच्चा फल गाढा हरा रहता है और पकने के बाद पीला रंगमे परिणत होता है । फलका गुदा थोडा पीला रंगके रसीला और सुगन्धित होता है ।

क्वीन ः– यह ताजा फलके लिए बहुत प्रसीद्ध जात है । इस जातका पौधा छोटा होता है, फलका आकार भी मझौला होता है और गोल होता है । इस जातका फल पकने को बाद सोना जैसा दिखता है । 

फल के गुणस्तर उच्चकोटीको माना जाता है । बहुत सुगन्धित, बहुत मीठा और। गुदामे रेसा नहि होता है । इस जातका फल जल्दी पक जाता है ।

मौरिसस ः– ये मध्यमे पकने वाला जात है । इसमे लाल और पीला दो प्रकारका जात है । फल बहुत मीठा होता है और जैसे–जैसे पकता है लाल और पीला अपने रुपमे परिणत हो जाता है और सुगन्धित भी बहुत होता है ।

प्रयोग और पौष्टिक महत्व    

अनानास के फलमे भिटामिन ए, बी, सी, क्याल्सियम, फास्फोरस और लोहा अधिक मात्रामे पाया जाता है । अनानास के फलमे एक तरहका ब्रोमिलीन कहनेवाला इन्जाइम पाया जाता है । 

सामान्यत ः पका हुवा फलमे ८५ प्रतिशत पानी, ०.४ प्रतिशत प्रोटीन, १३ प्रतिशत चिनी, ०.१ प्रतिशत बोसो, खनिज पदार्थ और भिटामिन्स पाये जाते है । यसको फलबाट सर्बत, जूस, जाम, जेली, चकलेट भी बनाया जाता है । इसके पताके रेसासे फिलिपिन्स और ताइवान मे पसन्दीदा कपडा तयार किया जाता है ।


अनानास सेवनके फाइदा

अनानास अर्थात पाइनेप्पलको विभिन्न रुपमे प्रयोग कर सकते है, इसे गर्मीके मौसममे जूसके रुपमे सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है ।

१= स्वस्थ्य हृदय ः– इसमे एंटी–आँक्सीडेंट गुण भरप्ुर मात्रामे होता है और इसके सेवनसे कोलेस्ट्रोल नियन्त्रित रहता है । इसके नियमित सेवनसे दिल सम्बन्धि रोगसे दुर रह सकते है ।

२= हडियों की मजबूती ः– अनानास मे अधिक मात्रामे मैग्निशियम पाया जाता है जिससे हडियों मजबुत होता है । साथही इसमे मिनरल्स और भिटामिन की मात्रा भी अधिक होती है । 

इसका नियमित सेवनसे हडियों सम्बन्धी सम्पूर्ण रोगसे छुटकारा पाया जा सकता है । इसके एक कप जूसमे ७४ प्रतिशत मैग्निशियम मिल्ता है ।

३= इम्युनिटी पाँवर के लिए ः – शरीरमे इम्युनिटी पाँवर कम होने के बाद विभिन्न रोग लग जाता है, जिस व्यक्तिमे इम्युनिटी पाँवर अधिक होता है उसे जल्दी कोइ रोग नहि लग सकता क्युकि रोग प्रतिरोधक शक्तिके रुपमे इम्युनिटी पाँवरको समझा जाता है । 
शरीरमे इम्युनिटी पाँवर बढाने के लिए अनानासका जूस और प्र्रूmट नियमित सेवन करना आवश्यक होता है ।
४= उच्च रक्तचाप ः– यदि कोई उच्च रक्तचाप से ग्रसीत है तो अनानासको अपने डाइटमे सामेल करना बहुत जरुरी होता है । क्युकि इसमे काफी मात्रामे पोटेशियम पाया जाता है और सोडियम की मात्रा कम होती है । जिससे यह शरीरमे रक्त प्रवाहके गति को नियन्त्रित करनेमे मदत करता है ।

५= वजन घटानेमे सहायक ः– अनानास वजन कम करने मे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इसका नियमित सेवनसे वजन घटानेमे मदत होता है साथ ही इसके सेवन से त्वचा भी सुन्दर होता है ।

अनानास कैसे सेवन करे

अनानास सेवन करने के कयौं तरीका है । बहुत लोग इसको जूस निकाल कर सेवन करते है तो प्रूmटके रुपमे भी सेवन किया जाता है । सलादके रुपमे इसका सेवन किया जाता है, जैमके रुपमे भी बहुत लोग सेवन करते है । साथ ही इसका सेवन अपने घरमे चटनीके रुपमे भी किया जाता है ।


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