प्रदेशसभा मे प्रधानमन्त्री ओली

प्रदेशसभा मे प्रधानमन्त्री ओली : अर्थहिन उपस्थिति

प्रदेशसभा मे प्रधानमन्त्री ओली


व्यापक चर्चा–परिचर्चा के बीच प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली द्धारा दिया गया करीब दो घंटा लम्बा भाषण से प्रदेश नं. २ का जनता कुछ मिलनेका अनुभूति नहि कर सके ।

मधेश आन्दोलनके समय मे प्रधानमन्त्री ओली मधेश और मधेशी के प्र्रति विभिन्न प्रकारका जलील करनेवाला शब्दको प्रयोग किये थे और अपना अभिव्यक्ति से ही मधेशी के प्रति नफरत देखाने मे पीछे नहि परे । जिसका सर्वत्र विरोध हुआ था ।

जब प्रदेश नं. २ मे मधेशीयों की सरकार बनी तब प्रदेश सभाको सम्बोधन करने के लिए प्रधानमन्त्री ओली जनकपुर पहुँचे । लेकिन प्रदेश सभामे सम्बोधन के क्रममे सीधा रुप से नहि तो घुमाकर भी आन्दोलन के समयमे अपने अभिव्यक्ति प्रति दुःख व्यक्त कर देते तो मधेशीयों कुछ राहत महशुस करते ।

मधेशी जनता इसका अपेक्षा भी किया था । लेकिन उन्होने इस सम्बन्धमे एक शब्द भी नहि बोले इतन ही नहि बल्कि आन्दोलनका चर्चा करना भी उन्होने जरुरी नहि समझें ।

प्रदेश सभामे प्रधानमन्त्री ओली सिर्फ पुराना बात को ही पुनरावृति किए थे । नीजगढ अन्तर्राष्ट्रीय हवाई फिल्ड, फास्टट्रयाक, हनुमान नगर से पानी जहाज की शुरुवात, सडक संजाल पाँच सालके भितर निर्माण, रेल का विकास, कोशी, कमला डाईभर्सन, राजविराज मे मेडिकल काँलेज का स्थापना, कृषि और स्वास्थ्यमे लगानी जैसा प्रसंग इस क्षेत्र के लिए नयाँ नहि था ।

विगत के कैयों साल से चर्चा मे और योजना संचालन मे रहा है । लेकिन इसका प्रगति जहँ का तहँ है । इस बीच कोई नयाँ परियोजना का बात नहि आ सका ।

प्रधानमन्त्रीका कहना था कि बिकास के लिए प्रदेश नं. २ के भुमि सब से बढीया उर्बरक क्षेत्र के रुपमे रहा है । और केन्द्रिय सरकार ( संघीय सरकार ) अन्य ६ प्रदेश से ज्यादा इस क्षेत्र मे लगानी लगाने जा रही है ।

उन्होने धार्मिक–साँस्कृतिक धरोहर स्थल जलेश्वर, गढीमाई, सिम्रोनगढ, सलहेस, धनुषाधाम, मणिमण्डप जैसा धार्मिक पर्यटकीय गन्तव्य सबके विकास के लिए सरकार गम्भिर रहा है बताए ।

राजर्षि जनक विश्वविद्यालय खडा होने के बाद भी अब तक काम कुछ नहि कर सका शिकायत करते हुवे काँलेज सब इस क्षेत्रमे आना नहि चाहता है लेकिन जर्बदस्ती लाकर हुवे असहजता के प्रति दुःख व्यक्त किए । इस क्षेत्रमे निकट भविष्य मे विश्वविद्यालय का स्थापना किया जाएगा उन्होने बताए ।

प्रदेश नं. २ का ५९ प्रतिशत जनता अशिक्षित है, उन सबको साक्षर बनाना जरुरी है । सिर्फ २६ प्रतिशत शौचालय बनाया गया है, बाँकी ७४ प्रतिशत को शौचालय तरफ आकर्षित करने के लिए सचेतना कार्यक्रमका आवश्यकता है । नेपाल मे कुल २१ प्रतिशत गरीबी रहा है जिसमे प्रदेश नं. २ मे ४२ प्रतिशत गरीबी है ।

प्रदेश नं. २ वा मधेशी जनताके साथ विभेद किया गया चर्चित आवाजको साम्य पार्ने के लिए पीएम ओली ने कहा यदि कुछ ऐसा है तो हमे बतावें संघीय सरकार उसका अन्त करने के लिए तैयार है । लेकिन विभेद अपना भितर से भी होता है इसलिए हरेक प्रकारका विभेद का अन्त होना बहुत जरुरी है कहते हुवे सभासद लोगों से आग्रह किये ।

अपेक्षा कहाँ पुरा नहि हुआ 


वैसे तो नेपाल के संविधान वा अन्य किसी भी कानुनी–सम्वैधानिक व्यवस्था नही होने के बाबजुद आपसी समझदारी मे प्रदेश सभा के भितर प्रधानमन्त्री के सम्बोधन का कार्यक्रम चल रहा है ।

प्रदेशन नं. २ मे वभिन्न उथल–पुथल एवं विरोधाभास के बीच पीएम ओली ने सम्बोधन  किये और प्रदेश सरकारके सब पदाधिकारी सम्बोधन को सफल बनाने मे भरपुर प्रयास किए ।

उन लोगो का पूर्ण विश्वास और आशा था कि विभिन्न तरह के विभेद मे परे मधेशी समूदाय के लिए पीएम ओली क्ुछ जरुर कहेगें । लेकिन सम्बोधनके बाद ओ लोग थोडा निराश हुवे ।

जनता द्धारा किया गया अपेक्षाओं का प्रसंग 


१. नेपाल सरकारमे सामेल होने के समय मे सरकार के  समर्थन के लिए संघीय समाजवादी फोरम और सरकार के बीच हुवे सहमति के कार्यान्वयन के तिथि–मिथि सहित घोषणा ।

२. अर्थ, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, भौतिक पूर्वाधार सहित के क्षेत्रमे संघीय सरकार द्धारा प्रयोग होता आ रहा एकाधिकार को प्रदेश सरकार को हस्तान्तरण प्रक्रिया बारे मे ठोस कार्यक्रम की जानकारी ।

३.स्थानिय निकायमे चुनाव के बाद दिया गया असिमित अधिकार कटौती कर प्रदेश सरकार के मातहत मे रखने की व्यवस्थापन की घोषणा ।

४. राजर्षिजनक विश्वविद्यालय को किसि के व्यक्तिगत सम्पति नहि बुझते ह्ुवे प्रदेश के जनता को सामूहिक उपलब्धीके रुपमे स्वीकार कर इसका असल व्यवस्थापन के लिए निति और कार्यक्रम का घोषणा ।

५.सिर्फ प्रदेश नं. २ से सात लाख युवा रोजगारी के लिए विदेश ( खाडी मुलुक ) गये है, उन लोगो को वापस लाने के लिए कोई ठोस उद्योगधन्दा के शूरुवात जैसा कार्यक्रम देते । मलखाद्य कारखाना के बात चलने के बाद भी उसे ठोस रुपमे प्रस्तुत नहि कर सके ।

यदि प्रदेश के जनता के भावना का प्रतिनिधित्व नहि हो सका तो पीएम ओली को प्रदेश सभामे भाषण का क्या औचित ? इस सबाल का उत्तर के खोजी करे तो कुछ प्रसंग आगे आता है ।

– वास्तव मे अन्य प्रदेश सभा सब मे करते आ रहे भाषण के ही एक कडी के रुपमे इसे लिया गया ।

– प्रधानमन्त्री मधेश प्रति, उसमे भी प्रदेश नं. २ प्रति बहुत उदार रहा देखाने के लिए ही अपना सम्पूर्ण भाषण केन्द्रित किये । और यह अस्भाविक भी नही था । लेकिन समय के नाजुकता से बेखबर रहे ।

थोडा उदार होके मधेश और मधेशी के प्रति शब्द के ही माध्यम से अभिव्यक्ति व्यक्त कर देते तो सम्भवतः कुछ हद तक मलहम का काम करता ।

– प्रदेश नं. २ मे रहा कुछ पर्यटकीय और धार्मिक क्षेत्रों के विकास के लिए संघीय सरकार सक्रिय रहा बताते हुवे जलेश्वर, गढीमाई, सिम्रोनगढ, सलहेस सहितका धार्मिक स्थल का नाम लिए ।

यदि इस स्थान के विकास के लिए संघीय सरकार, प्रदेश सरकार को इतना रकम अनुदान देने का निर्णय किया है जैसा अभिव्यक्ति दे देते तो निश्चय ही इससे सकारात्मक समर्थन मिलता ।

इस से देखा जाता है कि प्रदेश सरकार को पंगु बनाकर केन्द्र सरकार प्रदेश नं. २ मे विकास और योजना का कार्यक्रम सब करके जनता मे उसका यश खुद लेने का मनसाय बना रहा है । प्रदेश नं. २ का जनता गत निर्वाचन मे मधेशवादी दल उपर बहुत हद तक विश्वास कर के वोट दिया है ।

और नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी के प्रति जनता की बढी दुरी को कम करने के लिए अपने माध्यम से विकासीक योजना सब करके जनता का सहानुभुति प्राप्त करने का चाल देखा गया । धार्मिक और पर्यटकीय स्थलों वास्तवमे प्रदेश सरकार का कार्य क्षेत्र मे पर्ने वाला विषय है, लेकिन केन्द्र सरकार इस काम को खुद करके प्रदेश की अधिकार कटौती करते देखा गया ।

इस के लिए प्रदेश सरकार को अपने आप मे सक्षम होना होगा और इसके लिए आवश्यकता अनुसार का पहल भी जरुरी है । 

समष्टिगत रुपमे विचार किया जाय तो प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली एक अच्छी अवसर को उपयोग करने की उत्साह मे कुछ गलत प्रसंग भी छोड गये । प्रदेश नं. २ के सत्ता गठबन्धन दल राजपा का अधिकांश प्रदेश सदस्य बैठक मे उपस्थित ही नहि हुवे और जो उपस्थित थे ओ लोग अपना विरोध जताते हुवे सभा बहिष्कार कर दिये ।

सम्बिधान संशोधन और विभिन्न मुद्दा फिर्ताका बात था, सम्बोधन कर सकते थे । इस सम्बन्धमे पूर्ववर्ती सरकार सब से सहमति भी हुआ ही था । लेकिन इस बारे मे विषय प्रवेश न होने के बाद तीक्तता कायम ही रहा जो सर्वथा दुखदायी कहा जा सकता है ।

सालो से विभेद मे परे मधेश और मधेशी जनता की चाहना को कद्र करना बहुत जरुरी है, अनावश्यक विवाद लम्बा खीचना कोई तुक की बात नही होता । संघीय समाजवादी फोरम अभी सरकार मे है और राजपा की समर्थन सरकार को प्राप्त है । इस अवस्थामे थोडा उदारता देखाने से समस्याका समाधान निकल सकता है ।

हरेक निकाय का इस तर्फ प्रयास जारी रहना जरुरी है । सम्भवत ः इसी हठ के कारण प्रधानमन्त्री ओली द्धारा प्रदेश सभा मे किया गया अभिभाषण सर्व प्रिय नहि बन सका ।

भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जनकपुर–काठमाण्डौ–मुक्तिनाथ भ्रमण प्रति अतिउत्साहीत देखा गया प्रधानमन्त्री ओली एक आपस मे वान टु वान और सामूहिक बातचीत से दोनो देशके आपसी सम्बन्ध को और उचाई मे पहुँचाने का प्रसंग उल्लेख करते हुवे उनके मुखारविन्द पर देखा गया प्रसन्नता कम महत्वपूर्ण नहि था ।

कांग्रेस ने मधेश मे चुक किया ही है तो इसका क्षतिपूर्ति नेकपा ने कर सके तो बडा अवसर और उपलब्धि हाथ लगने की मनशाय से यदि प्रदेश नं. २ के प्रदेश सभामे प्रधानमन्त्री प्रवेश किये होते तो आज नेकपा और मधेशी जनता दोनो के चेहरे पर दीर्घकालीन सहकार्य और सुदृढ सम्बन्ध विस्तार का चमक निश्चय होता !




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